Red Gala apples, hanging in a tree.
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बीते एक माह से बारिश नहीं होने से सेब बागीचे सूखे की चपेट में आ गए हैं। बगीचों से नमी गायब है। इस कारण फास्फोरस और पोटाश खाद डालने का काम लटक गया है। उर्वरकों की कमी से बगीचे बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं और फल की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। समय से बारिश बर्फबारी न हुई तो चिलिंग ऑवर्स पूरे न होने पर सेब उत्पादन में भी कमी आ सकती है। 15 नवंबर के बाद सेब उत्पादक क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी न होने से बागवानों की चिंता बढ़ गई है। सेब की अच्छी फसल के लिए दिसंबर में तापमान 15 डिग्री से कम होना चाहिए, जबकि इन दिनों तापमान 20 डिग्री के करीब चल रहा है। दिसंबर माह में बागवान भाई कटिंग और प्रूनिंग का काम भी ख़तम कर देते हैं। लेकिन बिन बारिश के ये काम भी लटक सकता है।

दिसंबर में बगीचों में फास्फोरस और पोटाश खाद डाली जाती है, लेकिन इसके लिए जमीन में नमी होना जरूरी है। इन खादों से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और जड़ें मजबूत होती हैं। सेब की अच्छी फसल के लिए दिसंबर में तापमान 15 डिग्री से कम होना चाहिए, जबकि इन दिनों तापमान 20 डिग्री के करीब चल रहा है। सर्दी के मौसम में पेड़ों से पत्ते झड़ना जरूरी है, तापमान अधिक होने से पत्ते नहीं झड़ पा रहे।

इसलिए इन दिनों बारिश-बर्फबारी न होने से सूखे के कारण खाद डालने का काम रुक गया है। अगले एक हफ्ते भी बारिश बर्फबारी नहीं हुई तो सेब की फसल बुरी तरह प्रभावित होने का डर है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के वैज्ञानिक संदीप शर्मा ने बताया कि मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 15 नवंबर के बाद बारिश बर्फबारी नहीं हुई है। आगामी 20 दिसंबर तक भी मौसम शुष्क रहने की संभावना है।

नमी न होने से बगीचों में फास्फोरस और पोटाश खाद डालने का काम प्रभावित हो रहा है। इससे बगीचे बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। वूली एफिड का खतरा है। फल की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है। तापमान की अधिकता से फसल पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। – डॉ. दिनेश सिंह ठाकुर, सहायक निदेशक, क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र मशोबरा ।