Spread the love

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता करण नंदा ने मंगलवार को सोलन में कहा कि जबसे हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है तब से प्रदेश आनन-फानन की स्थिति से गुजर रहा है।

पहले कांग्रेस के नेताओं ने हिमाचल प्रदेश में 619 कार्यालय को बंद किया और उसमें से एक कार्यालय तो ऐसा था जो 1952 में स्थापित हो गया था जिसको कांग्रेस के नेताओं ने बंद कर दिया।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने पूरे विधानसभा सत्र में शोर मचाया कि हम हिमाचल प्रदेश में पैसे की देखरेख के लिए आए हैं और खर्चा कम करने आए हैं पर उसके 2 दिन बाद ही 7 मंत्री और 6 सीपीएस बनाने से उन्होंने हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर बोझ डाल दिया है।

अगर मंत्रियों और सीपीएस की गणना की जाए तो कुल मिलाकर 13 की घोषणा हुई जिसमें से 8 केवल एक ही संसदीय क्षेत्र को मिले उससे पूरे प्रदेश का क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ गया है।

पूरे देश में सीपीएस की नियुक्तियों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने कड़े कदम उठाए हैं और इस नियुक्ति को असंवैधानिक करार दिया है पर हिमाचल प्रदेश में उसके बावजूद भी सरकार ने सीपीएस की घोषणा की है।

उन्होंने कहा कि इससे पूर्व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 13 मार्च 2015 को 21 सीपीएस बनाए थे पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 8 सितंबर 2016 को सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया, उसके उपरांत छत्तीसगढ़ में 22 मई 2015 में सरकार द्वारा 11 विधायकों को सीपीएस बनाया गया था पर उसको भी सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया।

इसी प्रकार 18 जुलाई 2017 को पंजाब हरियाणा सरकार की ओर से संसदीय सचिव की नियुक्ति हुई इसको भी अवैध घोषित किया गया। 26 जुलाई 2017 को असम सरकार ने सीपीएस बनाएं सुप्रीम कोर्ट ने इस नियुक्ति को भी असंवैधानिक घोषित किया, मणिपुर में भी कुछ इसी प्रकार का प्रकरण सामने आया। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में आर्टिकल 164 1ए, अमेंडमेंट 91 के तहत स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि सीपीएस की नियुक्ति सही नही है।