हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) को भारतीय सामाजिक विज्ञान शोध परिषद के द्वारा केंद्र सरकार की अमृत योजना के प्रभावों और परिणामों की समीक्षा करने के लिए एक परियोजना दी गई है। यह परियोजना अल्पकालिक अनुभवजन्य अनुसंधान 2023-24 के लिए विशेष कॉल के तहत प्रदान की गई है। इस परियोजना का शीर्षक “अमृत पहल: हिमाचल प्रदेश के चयनित क्षेत्रों में कार्यान्वयन और परिणामों की एक व्यापक समीक्षा” है। इसके लिए 13 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृति कि गई है। एचपीयू के चार प्राध्यापक इस परियोजना पर शोध करेंगे। अमृत मिशन के तहत भारत सरकार द्वारा देश के 500 शहरों को विभिन्न मानकों पर चुना गया था, जिसमें हिमाचल प्रदेश के शिमला और कुल्लू ज़िला भी शामिल हैं। परियोजना निदेशक प्रोफ़ेसर नितिन व्यास ने बताया कि अमृत मिशन के क्रियान्वयन और प्रभावशीलता का अध्ययन करना ही इस परियोजना के प्रमुख उद्देश्य है।
प्रोफ़ेसर नितिन व्यास और डॉ प्रीति नागल ने बताया कि शोध के द्वारा शिमला और कुल्लू में पर्याप्त पेयजल और भूजल पुनर्भरण सुनिश्चित, जल आपूर्ति के लिए की गई विशेष व्यवस्थाओं का आँकलन किया जाएगा। शिमला और कुल्लू में नेटवर्क युक्त भूमिगत सीवरेज व्यवस्था का मूल्यांकन कर मौजूदा प्रणाली, अपशिष्ट जल प्रबंधन के लिए रीसाइक्लिंग व्यवस्थाओं का आँकलन। शिमला और कुल्लू में बारिश के जल निकासी प्रणाली का आकलन करने के साथ शहरी बाढ़ को कम करने और बारिश के जल निकासी के प्रबंधन में अमृत मिशन प्रभावशीलता का विश्लेषण भी किया जाएगा।
परियोजना में सहयोगी डॉ जोगिंदर सकलानी और डॉ अंकुश भारद्वाज तथा डॉ प्रीति नागल ने बताया कि इसके अलावा कुल्लू और शिमला की शहरी परिवहन प्रणाली की जांच की जाएगी जिसमें बहु-स्तरीय पार्किंग, फुटपाथ, फुटओवर ब्रिज और गैर-मोटर चालित परिवहन विकल्पों के प्रावधान शामिल हैं। पर्यावरणीय स्थिरता और सतत विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नीतियों और प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए, दोनों शहरों में हरित पहल के विकास का मूल्यांकन भी किया जाएगा। डॉ प्रीति नागल ने कहा कि इन पहलुओं का अध्ययन करके हिमाचल प्रदेश में अमृत मिशन के कार्यान्वयन की व्यापक समझ प्रदान करना, प्रमुख शहरी बुनियादी ढांचे और स्थिरता चुनौतियों के बारे में जानकारी हासिल की जाएगी जिससे भविष्य में बेहतर नीतियां बनाई जा सकें।
टीम में परियोजना निदेशक और समन्वयक के रूप में इंस्टीट्यूट ऑफ वोकेशनल स्टडीज के प्रोफेसर नितिन व्यास, आईसीडीईओएल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जोगिंदर सकलानी, इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अंकुश भारद्वाज और वोकेशनल स्टडीज इंस्टीट्यूट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रीति आर नागल शामिल हैं।